National River Confluence-2024 भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित समारोह में परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री, भारत सरकार, आदरणीय श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत जी और अनेक विशिष्ट अतिथियों ने सहभाग कर विरासत की वाहक भारत की नदियाँ पर चिंतन-मंथन किया। National River Confluence-2024
National River Confluence-2024 स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि गंगा है तो हम हैं; गंगा है तो हमारी संस्कृति, प्रकृति और संतति है। हमारी सभ्यता, संस्कृति, आस्था और आध्यात्मिकता माँ गंगा के बिना अधूरी है। गंगा न सिर्फ हमारी राष्ट्रीय नदी है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत का आधारस्तंभ भी है। भारत में विभिन्न भाषाओं, धर्मों और संस्कृतियों के बावजूद, माँ गंगा हमें एक सूत्र में पिरोती है। मोक्षदायिनी माँ गंगा ने न केवल भारत भूमि को पवित्र किया है बल्कि भारतीयों के दिलों को संस्कृति व संस्कारों से भी पोषित किया है। राष्ट्रीय नदी गंगा भारत की आत्मा है, गंगा राष्ट्रीय धरोहर है। National River Confluence-2024
- राष्ट्रीय नदी संगम-2024 भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित
- परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री, भारत सरकार, आदरणीय श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत जी, प्रति उपकुलपति, देवसंस्कृति विश्व विद्यालय, हरिद्वार डा चिन्मय पंड्या जी, अध्यक्ष, भारतीय नदी परिषद् श्री रमन कान्त जी, सलाहकार, भारतीय नदी परिषद् श्री कुंवर शेखर विजेंद्र जी और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने किया सहभाग
- भारतीय नदी परिषद् की वेबसाइट का विमोचन, नदी दर्शन पोर्टल का विमोचन, नदी गाथा मुखपत्र का विमोचन, भारतीय नदी परिषद् – एक परिचय पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म का प्रदर्शन,
- भारतीय नदी योद्धयों का सम्मान, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जल भागीरथी फाउंडेशन, राजस्थान, सुश्री कनुप्रिया हरीश, अध्यक्ष आर्ट ऑफ लिविंग कर्नाटक, श्री प्रसन्ना प्रभु, श्री गौरंगादास, निदेशक, गोवर्धन इको विलेज, महाराष्ट्र, संगठन मंत्री, लोक भारती, उत्तरप्रदेश, श्री ब्रिजेंद्र सिंह, श्री कार्तिक सप्रे, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, नम्रदा समग्र, मध्यप्रदेश को किया सम्मानित
स्वामी जी ने कहा कि माँ गंगा केवल एक नदी नहीं बल्कि माँ है। 2,525 किलोमीटर का चलता-फिरता मन्दिर है। वह केवल जल का ही नहीं बल्कि जीवन का भी स्रोत है। माँ गंगा ने मनुष्य को जन्म तो नहीं दिया परन्तु जीवन दिया हैं। वर्तमान समय में हमारी नदियां और धरती माता दोनों पीड़ित हैं इसलिये हमें अपने शोषणकारी व्यवहार को बदलना होेगा ताकि हमारी नदियां कलकल करती बहती रहे; सब का भरण-पोषण करती रहें और कोई भी पीछे न छूटे।
National River Confluence-2024 विरासत की वाहक भारत की नदियाँ पर हुई विशेष चर्चा
आदरणीय श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत जी ने कहा कि भारत की नदियाँ सदियों से हमारी संस्कृति, सभ्यता, और आस्था का महत्वपूर्ण अंग रही हैं। ये नदियाँ न केवल जल का स्रोत हैं बल्कि हमारी विरासत की वाहक भी हैं। गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, और ब्रह्मपुत्र जैसी नदियाँ भारतीय जनजीवन में अपार महत्ता रखती हैं।
माँ गंगा तो भारतीय संस्कृति का दिल है और भारत की आत्मा है। गंगा जी के तट पर कई महत्वपूर्ण नगर और तीर्थ स्थल बसे हुए हैं। वाराणसी, हरिद्वार, प्रयागराज और ऋषिकेश जैसे स्थानों का धार्मिक महत्व गंगाजी के बिना अधूरा है। गंगा को मोक्षदायिनी है। गंगाजी के तट पर बसे ये नगर भारतीय सभ्यता के अद्वितीय उदाहरण हैं। नदियों के बिना भारतीय सभ्यता और संस्कृति अधूरी है, और यही कारण है कि इनकी सुरक्षा और संरक्षण हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।
इस अवसर पर भारतीय नदी परिषद् की वेबसाइट का विमोचन, नदी दर्शन पोर्टल का विमोचन, नदी गाथा मुखपत्र का विमोचन, भारतीय नदी परिषद् – एक परिचय पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म का प्रदर्शन किया तथा भारतीय नदी योद्धयों का सम्मानित किया।