indian festivals परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने देशवासियों का आह्वान करते हुये कहा कि इस दीपावली पर, आइए हम सभी मिलकर दीये जलाएं और दीये बनाने वालों के चेहरों पर भी मुस्कान लाएं। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि धनतेरस से पांच दिनों के दीपावली पर्व की शुरूआत हो रही हैं। आप सभी से विशेष आग्रह है कि आप पारंपरिक मिट्टी के दीये जलाएं और उन कारीगरों के जीवन में खुशी और आशा की किरणें बिखेरें जो इन दीयों को अपने अथक परिश्रम से बनाते हैं और हमारी सांस्कृतिक धरोहर को सजीव रखने महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। indian festivals
indian festivals दीपावली का पर्व प्रकाश और खुशियों का पर्व है। जब हम अपने घरों और परिसरों में मिट्टी के दीये जलाते हैं, तो हम केवल अपने परिवेश को ही नहीं, बल्कि उन कारीगरों के जीवन को भी रोशन करते हैं, जो इन दीयों को बनाने में अपना समय और ऊर्जा लगाते हैं। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने जोर देकर कहा कि दीपावली का यह दिव्य पर्व हमें अपनी भारतीय संस्कृति और परंपराओं को जीवंत व जागृत रखने का संदेश देता है और ये नन्हें-नन्हे मिट्टी के दीये न केवल पर्यावरण-अनुकूल होते हैं, बल्कि हमारे सांस्कृतिक मूल्यों का भी प्रतीक हैं। indian festivals
indian festivals जब हम इन दीयों को जलाते हैं, तो हम अपने पूर्वजों की परंपराओं का सम्मान करते हैं और आने वाली पीढ़ियों के साथ इन मूल्यों के साझा करते हैं। दीये जलाना हमारे समाज में एकता और सांझा खुशी का प्रतीक है जो हमें हमारे कर्तव्यों और जिम्मेदारियों की याद दिलाता है, और हमें अपने आसपास के लोगों की सहायता और समर्थन करने के लिए भी प्रेरित करता है। indian festivals
indian festivals आइए, इस दीपावली पर हम सब मिलकर एक संकल्प लें कि हम पारंपरिक मिट्टी के दीये जलाएंगे और उन कारीगरों की मेहनत और कला को सम्मानित करेंगे। इस छोटे से कदम से हम न केवल अपने त्योहार को और अधिक खुशहाल बनाएंगे बल्कि समाज के उन लोगों के जीवन में भी सकारात्मक बदलाव लाएंगे, जिनके बिना यह पर्व अधूरा है। उन्होंने कहा कि इस दीपावली पर, दीये जलाएं और दीये बनाने वालों के चेहरों पर भी मुस्कान लाएं। indian festivals
indian festivals साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि दीपावली के अवसर पर पारंपरिक मिट्टी के दीयों को खरीद कर हम कई परिवारों के लिए खुशियाँ खरीदते हैं। दीपावली के सीजन में दीयों की बिक्री से प्राप्त आय कई परिवारों की मुख्य आय का स्रोत होता है। इन हस्तनिर्मित दीयों को खरीद कर हम सीधे उनकी आर्थिक स्थिरता में योगदान करते हैं। यह सहायता सिर्फ आर्थिक मदद तक सीमित नहीं होती, बल्कि कारीगरों के लिए गर्व और पहचान का भी स्रोत है। indian festivals
indian festivals साध्वी जी ने कहा कि मास-प्रोड्यूस्ड ( बड़ी संख्या में और मशीनों की सहायता से उत्पादन) वस्तुओं से भरे इस युग में, साधारण मिट्टी का दीया हमारी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। ये दीये हमें प्राचीन परंपराओं से जोड़ते हैं और हमें कालातीत मूल्यों की याद दिलाते हैं। दीया जलाना एक साधारण सा दिखने वाला कार्य है, परन्तु इसके पीछे एक गहरा अर्थ है क्योंकि यह परंपराओं की निरंतरता का प्रतीक है जो हमें हमारी जड़ों से जोड़ता हैं और कारीगरों के लिए उनके पास से बिकने वाला हर दीया एक उज्जवल भविष्य, संभावनाओं और प्रगति की झलक का प्रतीक है। indian festivals
वर्तमान समय में पर्यावरणीय स्थिरता अत्यंत आवश्यक है, पारंपरिक मिट्टी के दीये इलेक्ट्रिक लाइट्स और प्लास्टिक सजावट के लिए एक पर्यावरण-अनुकूल विकल्प प्रदान करते हैं। प्राकृतिक सामग्री से बने ये दीये बायोडिग्रेडेबल होते हैं और इनका कार्बन फुटप्रिंट न्यूनतम होता है। मिट्टी के दीये जलाकर हम पर्यावरण प्रदूषण को कम करने और स्थायी परम्पराओं को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
यह छोटा सा दीया हमारे और कारीगरों के बीच एक रिश्ता बनाता है, दीये उनके प्रति हमारी कृतज्ञता को व्यक्त करने और देने की भावना का उत्सव बनाने का माध्यम बनते हैं। कई कारीगर समुदायों में, महिलाएं दीयों का निर्माण करती हैं। दीये खरीदकर हम उनके कार्यों का समर्थन करके, हम उन महिलाओं को सशक्त बनाते हैं और उनके सामाजिक और आर्थिक उन्नयन में योगदान करते हैं। आइए दीपावली को ऐसे मनाएं कि यह पर्व न केवल हमारे घरों में रोशनी लाए, बल्कि उन कारीगरों के जीवन में भी खुशी और रोशनी लाए जो ये सुंदर दीये बनाते हैं।