
मुख्य विकास अधिकारी अभिषेक त्रिपाठी ने बुधवार को कलेक्ट्रेट वीसी रूम में जन्म मृत्यु पंजीकरण जिला स्तरीय अन्तर्विभागीय समन्वय समिति की बैठक ली।
मुख्य विकास अधिकारी ने सीएमओ को संस्थागत प्रसव के केस में 24 घण्टे या पेशेंट के हॉस्पिटल से डिस्चार्ज के समय जन्म प्रमाण देने के निर्देश दिए। उन्होंने पंजीकरण करने वाले संस्थानों को परिसर में पंजीकरण संबंधी बोर्ड लगाने के निर्देश दिए। जनगणना निदेशालय देहरादून के अधिकारी हेमन्त ने बताया कि सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम पोर्टल पर जन्म एवं मृत्यु की घटनाओं का पंजीकरण किया जाता है।
02 दिसम्बर 2024 को लागू उत्तराखंड जन्म मृत्यु पंजीकरण संशोधित नियमावली के अनुसार उत्तराखंड में जन्म मृत्यु पंजीकरण किया जा रहा है। जिला स्तर पर जिला मजिस्ट्रेट रजिस्ट्रार व सीएमओ सब रजिस्ट्रार व स्थानीय स्तर पर निकायों में ईओ व ग्राम पंचायतों में ग्राम पंचायत विकास अधिकारी रजिस्ट्रार व सरकारी अस्पतालों में संबंधित मुख्य अधिकारी रिपोर्ट करेंगें। नियमावली 2024 के अनुसार 21 दिन के अन्दर जन्म या मृत्यु का पंजीकरण कराने के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है।
21 से 30 दिन के अन्दर 20 रुपये, 30 दिन से 100 दिन के अन्दर 50 रुपये तथा एक साल से अधिक 100 रुपये विलंब शुल्क लिया जाता है। जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र जन्म व मृत्यु के स्थान व तिथि का कानूनी प्रमाण है। बताया कि सरकारी अस्पताल में जन्म होने के 07 अन्दर के पंजीकरण कराना होता है। बिना नाम के भी जन्म का पंजीकरण किया जा सकता है। अगर रजिस्टेªशन बिना नाम के किया गया है तो एक साल तक नाम निशुल्क जोड़ा जा सकता है। वहीं माता-पिता या संरक्षक द्वारा सूचना दिए जाने एवं विहित फीस का भुगतान करने पर 15 वर्ष के अन्दर तक नाम जोड़ा जा सकता है। जन्म व मृत्यु पंजीकरण 01 साल बाद के विलंबित प्रकरणों के मामलों में संबंधित एसडीएम द्वारा आदेश जारी किए जाते हैं।
इस दौरान अपर जिलाधिकारी विवेक प्रकाश, मुख्य चिकित्सा अधिकारी अभिषेक गुप्ता, मुख्य शिक्षाधिकारी धर्म सिंह सहित अन्य संबंधित अधिकारी मौजूद रहे।