परमार्थ निकेतन की डा साध्वी भगवती सरस्वती जी ने भारत की ओर से यूनाइटेड नेशंस एलायंस ऑफ सिविलाइजेशन के 10वें ग्लोबल फोरम में दो विशेष सत्रों को सम्बोधित किया

Rishikesh Parmarth

कासकैस, पुर्तगाल, 2 दिसम्बर। यूनाइटेड नेशंस एलायंस ऑफ सिविलाइजेशन के 10वें ग्लोबल फोरम का आयोजन ‘शांति हेतु एकजुट’ विश्वास को पुनःस्थापित करना, भविष्य को पुनः आकार देना थीम पर आधारित है। इस वर्ष, फोरम ने दो दशकों के संवाद और सहयोग का उत्सव मनाया, जिसमें विश्व के प्रमुख नेता और गणमान्य अतिथियों ने सहभाग किया। फोरम का आयोजन प्रत्येक दो वर्ष में होता है, और इस बार यह 20वीं वर्षगांठ और 10वीं समिट के रूप में मनाया गया।

परमार्थ निकेतन की साध्वी भगवती सरस्वती जी ने भारत की ओर से यूनाइटेड नेशंस एलायंस ऑफ सिविलाइजेशन के 10वें ग्लोबल फोरम में दो विशेष सत्रों को सम्बोधित किया। इस आयोजन में राष्ट्रपति मार्सेलो रेबेलो डी सौसा (पुर्तगाल), संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेस, महामहिRishikesh Parmarthम डॉन फिलिप (स्पेन के राजा), तुर्की के विदेश मंत्री हाकन फिदान, संयुक्त राष्ट्र के अंडर-सेक्रेटरी-जनरल और यूएनएओसी के उच्च प्रतिनिधि मिगुएल एंजल मोराटिनोस, और अन्य कई पूर्व राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्रियों ने सहभाग किया।

इस वर्ष फोरम ने धार्मिक स्थलों की सुरक्षा – अपने-अपने पवित्र पूजा स्थलों के संरक्षण पर केंद्रित रही। साध्वी भगवती सरस्वती जी ने इस प्रमुख सत्र में अपने विचारों को साझा किया। ज्ञात हो कि दो वर्ष पहले मोरक्को के फेज में हुई पिछली समिट में भी उन्होंने मुख्य सत्र में संबोधित किया। सम्मेलन का उद्देश्य विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों के बीच संवाद को बढ़ावा देना, धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना, और शांति, विश्वास और सहयोग को पुनः स्थापित करना था। इस आयोजन के माध्यम से, वैश्विक नेताओं ने समाज में शांति और सद्भाव की दिशा में अपने समर्पण को दोहराया।

साध्वी भगवती सरस्वती जी ने फोरम के मुख्य उद्घाटन समारोह में सहभाग कर भारतीय संस्कृति, सनातन धर्म और भारतीय ज्ञान-विज्ञान से ओतप्रोत अपने सारगर्भित विचार व्यक्त किए। साध्वी भगवती जी ने अपने संबोधन में कहा, ‘धार्मिक स्थलों की सुरक्षा हमारे समाज की नींव है जो हमें वैचारिक पोषण प्रदान करती है। सनातन धर्म और संस्कृति की जड़ें सहिष्णुता, समरसता और करुणा के सिद्धांतों में गहराई से बसी हुई हैं। हमें इन सिद्धांतों को अपनाते हुए आगे बढ़ना होगा। धार्मिक स्थलों की सुरक्षा मात्र एक कर्तव्य नहीं, बल्कि हमारी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का सम्मान भी है।

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उन्होंने आगे कहा, भारत की परम्परा और सनातन परम्परा ने सदैव संविधानपूर्वक समाधान ढूंढने का प्रयास किया है और उन्हीं सिद्धान्तों पर यह राष्ट्र आगे बढ़ रहा है। वास्तव में संवैधानिक समाधान ही सुरक्षा व स्थिरता प्रदान करता है। सनातन धर्म हमें यह सिखाता है कि प्रत्येक प्राणी, प्रत्येक मनुष्य और प्रत्येक स्थान का सम्मान करें। हमारे पवित्र स्थल न केवल हमारी धार्मिक आस्था व विश्वास के प्रतीक हैं, बल्कि वे हमारी सभ्यता और संस्कृति की पहचान भी हैं इसलिये इनकी सुरक्षा केवल हमारी जिम्मेदारी ही नहीं है, बल्कि हमारा ध्येय भी होना चाहिए। हम इन पवित्र स्थलों की पवित्रता और सुरक्षा को सुनिश्चित करें।

हमें एकजुट होकर इन स्थलों की रक्षा के लिए संगठित प्रयास करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि ये स्थल हमारे आने वाली पीढ़ियों के लिए भी सुरक्षित रहें और इन स्थलों के माध्यम से हमारी प्राचीन ज्ञान परम्परा, आस्था, संस्कार व संस्कृति जीवंत व जागृत बनी रहे। उन्होंने आह्वान किया, आइए, हम सब मिलकर संकल्प लें कि हम इन पवित्र स्थलों की सुरक्षा करेंगे और समाज में शांति, सद्भाव और मानवता को बढ़ावा देंगे। यह केवल एक धार्मिक कर्तव्य नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज और भविष्य की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। हमारे प्रत्येक कदम से हम एक समृद्ध और सद्भावपूर्ण समाज की ओर अग्रसर हो सकते हैं। राष्ट्रपति मार्सेलो रेबेलो डी सौसा ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा, यह फोरम हमें एक अद्वितीय अवसर प्रदान करता है कि हम अपनी विचारधाराओं को साझा करें और एकजुट होकर विश्व के सामने शांति और सद्भाव का संदेश प्रस्तुत करें।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेस ने अपने संबोधन में कहा, ’दो दशकों के संवाद और सहयोग ने हमें यह सिखाया है कि शांति और सुरक्षा के बिना विकास संभव नहीं है। हमें अपनी साझी विरासत की रक्षा करनी चाहिए और सभी धार्मिक स्थलों को सुरक्षित रखने के लिये मिलकर प्रयास करना होगा। फोरम का समापन एक शानदार समारोह के साथ हुआ, जिसमें विभिन्न देशों के नेताओं और प्रतिनिधियों ने अपने विचार साझा किए और भविष्य के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया।

इस आयोजन के माध्यम से संदेश दिया कि संवाद और सहयोग के माध्यम से हम एक शांतिपूर्ण और समरसता से युक्त समाज का निर्माण कर सकते हैं। इस वर्ष का ग्लोबल फोरम न केवल दो दशकों के संवाद और सहयोग का प्रतीक है, बल्कि यह हमारे समाज के भविष्य के लिए एक नई दिशा का संकल्प भी है जिसने दिखा दिया कि अगर हम एकजुट होकर प्रयास करें, तो हम अपने समाज को शांति, सुरक्षा और समरसता की दिशा में ले जा सकते हैं। 10वीं संयुक्त राष्ट्र सभ्यताओं के गठबंधन ग्लोबल फोरम-2024 का आयोजन पुर्तगाल के कासकैस शहर में किया गया।

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