यमुना संगम*
यमुना परिवार काउंसिल, गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के सुंयक्त तत्वाधान में भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी की 100 वीं जयंती पर आयोजित*
बिरसा मुण्डा लॉन गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति गांधी दर्शन, राजघाट, नई दिल्ली*
मां यमुना जी के श्रीचरणों में समर्पित उत्तराखंड़, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली व उत्तरप्रदेश के समुना साधकों का मिलन व यमुना उत्सव*
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और वैष्णवाचार्य श्री यदुनाथ जी महाराज*
माननीय केन्द्रीय मंत्री, भारत सरकार, श्री अर्जुनराम मेघवाल जी, माननीय मुख्यमंत्री हरियाणा, श्री नायब सिंह सैनी जी, उपाध्यक्ष, गांधी स्मृति भारत सरकार, श्री विजय गोयल जी, माननीय केन्द्रीय मंत्री, भारत सरकार, श्री हर्ष मल्होत्रा जी, माननीय सांसद, श्री अतुल गर्ग जी, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष भाजपा, श्री राजेश अग्रवाल जी, मिस यूनिवर्स दिल्ली 2025, सुश्री स्मृति छाबड़ा जी, सुप्रसिद्ध भजन गायक व यमुना भक्त, श्री कन्हैया मित्तल जी, अन्तर्राष्ट्रीय लेखक व मोटिवेटर, श्री शिवखेड़ा जी, फाउण्डर, नोयडा फिल्म सीटी व अध्यक्ष मारवाड स्टूडियों आदि अनेक विशिष्ट अतिथियों का पावन सान्निध्य*
निदेशक यमुना परिवार काउंसिल, कपिल गर्ग जी, कार्यक्रम संयोजक संजीव कपूर जी, महाआरती, संयोजक, राहुल गुप्ता जी, महाआरती, सह संयोजक, मुकेश सोलंकी जी, आरती प्रमुख श्री संजय गिरी जी, विपणन प्रमुख, कंचन गर्ग जी का अद्भुत योगदान*
नई दिल्ली/ऋषिकेश, 28 दिसम्बर। नई दिल्ली स्थित राजघाट के गांधी दर्शन परिसर में, गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति और यमुना परिवार काउंसिल के संयुक्त तत्वावधान में “यमुना संगम” का भव्य, प्रेरणादायक और आध्यात्मिक आयोजन सम्पन्न हुआ। यह आयोजन भारत रत्न श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की 100वीं जयंती के पावन अवसर पर बिरसा मुंडा लॉन, गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति परिसर में आयोजित किया गया। कार्यक्रम मां यमुना जी के श्रीचरणों में समर्पित रहा, जिसमें उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश से पधारे यमुना साधकों, सेवकों और श्रद्धालुओं का भावपूर्ण संगम हुआ।
यह आयोजन भारतीय संस्कृति, नदी चेतना और राष्ट्र के प्रति सामूहिक उत्तरदायित्व का जीवंत प्रतीक बन गया। यमुना जी केवल एक नदी नहीं, बल्कि जीवनदायिनी, संस्कृति वाहिनी और सभ्यता की आत्मा के रूप में स्मरण करते हुए पूरे कार्यक्रम में सेवा, संकल्प और संवेदना की अनुभूति बनी रही। गांधी जी के सत्य और अहिंसा के विचार तथा अटल जी की राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत दृष्टि इस आयोजन के मूल भाव में स्पष्ट रूप से परिलक्षित हुई।
कार्यक्रम को परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज एवं वैष्णवाचार्य श्री यदुनाथ जी महाराज का दिव्य सान्निध्य प्राप्त हुआ।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि नदियाँ केवल जल का प्रवाह नहीं होतीं, वे किसी भी राष्ट्र की चेतना, संस्कृति और सभ्यता की जीवनरेखाएँ होती हैं। भारतीय संस्कृति का प्रत्येक अध्याय नदियों के तट पर लिखा गया है। हमारे तीर्थ, हमारी साधना, हमारे पर्व और हमारी परंपराएँ नदियों से जुड़ी हुई हैं। जब नदियाँ निर्मल और अविरल रहती हैं, तब समाज में संतुलन, शांति और समृद्धि बनी रहती है। स्वच्छ जल केवल शरीर को नहीं, बल्कि मन और विचारों को भी पवित्र करता है। जिस समाज में नदियाँ प्रदूषित होती हैं, वहाँ केवल पर्यावरण ही नहीं, बल्कि मूल्यों और संवेदनाओं का भी क्षरण होता है।
यमुना केवल एक नदी नहीं, बल्कि हमारी आस्था, हमारी संस्कृति और हमारी ऐतिहासिक चेतना की सजीव धारा है। श्रीकृष्णजी की लीलाओं से लेकर दिल्ली की सभ्यता तक, यमुना ने युगों-युगों तक राष्ट्र को जीवन दिया है। इसलिए यमुना का संरक्षण केवल पर्यावरणीय मुद्दा नहीं है, यह हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जिम्मेदारी है। यमुना को स्वच्छ रखना वस्तुतः अपने इतिहास, अपनी परंपरा और अपनी आने वाली पीढ़ियों की रक्षा करना है।
नदी संरक्षण का अर्थ केवल सफाई अभियानों तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि इसे जीवनशैली का हिस्सा बनाना होगा। जब हम नदियों को माँ मानकर सम्मान देते हैं, तभी उनका संरक्षण संभव है। यमुना जी की निर्मलता में ही राष्ट्र की निरंतरता और भविष्य की सुरक्षा निहित है।
इस अवसर पर देश के अनेक माननीय जनप्रतिनिधियों, सामाजिक चिंतकों, सांस्कृतिक विभूतियों और विशिष्ट अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति रही। माननीय केंद्रीय मंत्री श्री अर्जुनराम मेघवाल जी, हरियाणा के माननीय मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी जी, गांधी स्मृति के उपाध्यक्ष श्री विजय गोयल जी, माननीय केंद्रीय मंत्री श्री हर्ष मल्होत्रा जी, सांसद श्री अतुल गर्ग जी, भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष श्री राजेश अग्रवाल जी सहित अनेक गणमान्य अतिथियों ने यमुना संरक्षण और जनभागीदारी की आवश्यकता पर अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम में सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना का विशेष स्वरूप तब देखने को मिला जब मां यमुना जी की भव्य महाआरती सम्पन्न हुई। वैदिक मंत्रोच्चार, दीपों की ज्योति और सामूहिक प्रार्थना के साथ सम्पन्न यह आरती यमुना के प्रति कृतज्ञता, समर्पण और संरक्षण के संकल्प का प्रतीक बन गई। इस अवसर पर सुप्रसिद्ध भजन गायक एवं यमुना भक्त श्री कन्हैया मित्तल जी के भजनों ने वातावरण को भक्तिरस से सराबोर कर दिया।
युवा सहभागिता का भी इस आयोजन में विशेष महत्व रहा। मिस यूनिवर्स दिल्ली 2025 सुश्री स्मृति छाबड़ा जी, अंतरराष्ट्रीय लेखक एवं मोटिवेटर श्री शिव खेड़ा जी तथा सामाजिक-सांस्कृतिक क्षेत्र से जुड़े अनेक युवाओं की उपस्थिति ने यह स्पष्ट किया कि यमुना संरक्षण का संदेश नई पीढ़ी तक प्रभावी रूप से पहुँच रहा है। यह आयोजन यमुना को पुनः जनचेतना का केंद्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध हुआ।
यमुना संगम कार्यक्रम को सफल बनाने में यमुना परिवार काउंसिल के निदेशक श्री कपिल गर्ग जी, कार्यक्रम संयोजक श्री संजीव कपूर जी, महाआरती संयोजक श्री राहुल गुप्ता जी, सह संयोजक श्री मुकेश सोलंकी जी, आरती प्रमुख श्री संजय गिरी जी एवं विपणन प्रमुख सुश्री कंचन गर्ग जी का योगदान अत्यंत सराहनीय रहा। उनके समर्पण, सेवा भावना और संगठनात्मक कुशलता ने इस आयोजन को गरिमा और भव्यता प्रदान की।
समग्र रूप से यमुना संगम यह संदेश देकर गया कि नदी संरक्षण केवल नीतियों और योजनाओं तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि उसे जनआंदोलन और जनसंस्कार का स्वरूप देना आवश्यक है। अटल बिहारी वाजपेयी जी की 100वीं जयंती पर आयोजित यह कार्यक्रम उनके उस विचार को साकार करता प्रतीत हुआ, जिसमें विकास, संस्कृति और पर्यावरण एक-दूसरे के पूरक हैं। मां यमुना की अविरल और निर्मल धारा के साथ भारत की सांस्कृतिक चेतना भी निरंतर प्रवाहित होती रहे, यही इस आयोजन की मूल भावना और सच्ची प्रेरणा रही।
